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1. उष्ण आहार लें - गर्म भोजन से जठराग्नि तेज होती है, भोजन शीघ्र पच जाता है।
2. स्निग्ध आहार लें- स्निग्ध भोजन शरीर का पोषण, इन्द्रियों को दृढ़ और बलवान बनाता है।
3. मात्रा पूर्वक आहार लें- पाचन शक्ति के अनुकूल उचित मात्रा में भोजन स्वास्थ्यवर्धक होता है।
4. पचने पर आहार लें- पहले खाया पचने के बाद भूख लगने पर ही दूसरा भोजन करें।
5. अविरूद्ध वीर्य वाले आहार लें- परस्पर विरूद्धवीर्य (गुण व शक्ति) का भोजन रोग उत्पन्न करता है।
6. अनुकूल स्थान में आहार लें- मन के अनुकूल स्थान में मन के प्रिय पदार्थो का सेवन करें।
7. जल्दी- जल्दी आहार न लें- जल्दी भोजन करने से लालारस ठीक से न मिलने के कारण भोजन के पाचन में विलम्ब होता है।
8. बहुत धीरे- धीरे आहार न लें- धीरे- धीरे, रूक रूक कर भोजन करने से तृप्ति नहीं होती, आहार ठंडा तथा पाक विषम हो जाता है।
9. एकाग्रचित्त हो आहार लें- ऐसा करने से भोजन भली भाँति पचता है और अंग लगता है।
10. आत्म शक्ति के अनुसार आहार लें- यह आहार मेरे लिए लाभकारी है या हानिकारक है, विचार करके अपनी शक्ति के अनुकूल मात्रा में लिया भोजन हितकारी होता है।
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